Sunday, May 24, 2020

राजस्थान इतिहास। जनजाति आंदोलन

भगत  आंदोलन:- 
प्रवर्तक:- गुरु गोविंद गिरी
  • गुरु गोविंद गिरी का जन्म  1858 में बांसिया गांव डूंगरपुर में हुआ
  •  गुरु गोविंद गिरी का बंजारा परिवार में जन्म हुआ
  •  उपनाम:- भीलो के गुरु
  •  यह आंदोलन वागड़ क्षेत्र में हुआ तथा भील जनजाति के लिए हुआ
  • कारण:-सामाजिक /आर्थिक /आध्यात्मिक शोषण (भीलो का)
  • सम्प सभा:-1883 सिरोही /आश्विन पूर्णिमा 
  • प्रेरणा:-- महर्षि दयानंद सरस्वती 
  • सम्प का अर्थ :-एकता/ भाईचारा/ प्रेम भाव 
  •  इसमें 10 नियम थे
  •  प्रथम अधिवेशन -1903 सिरोही
  •  द्वितीय अधिवेशन- 1908 मानगढ़ पहाड़ी
मानगढ़ पहाड़ी हत्या काण्ड:-17 नवंबर 1913
  •  स्थान :-मानगढ़ पहाड़ी बांसवाड़ा 
  • गुरु गोविंद गिरी भीलों को लेकर मानगढ़ पहाड़ी पर चले गए 
  • डूंगरपुर+ बांसवाड़ा +अंग्रेजों की सेना ने मिलकर  भीलो पर अंधाधुंध गोलियां चलाई
  •  इस हत्याकांड में 1500 भील मारे गए
  •  गुरु गोविंद गिरी के पेर पर गोली लगी
  •  गुरु गोविंद गिरी को पकड़कर ईडर जेल भेज दिया 
  • वागड़ का जलियांवाला बाग हत्याकांड 
  • गुरु गोविंद गिरी का अंतिम समय कंबोई स्थान पर बिता 
  • मानगढ़ धाम मेला:- मानगढ़ पहाड़ी बांसवाड़ा 
  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा को
  • इस मेले को आदिवासियों का मेला कहा जाता है
मातृ कुंडिया आंदोलन/ एकी आंदोलन / भोमट आंदोलन:-प्रवर्तक:- मोतीलाल तेजावत 
  • मोतीलाल तेजावत का जन्म 1886 में कोल्यारी (उदयपुर) में हुआ
  •  इनका संबंध ओसवाल जैन परिवार से था
  •  उपनाम:- भीलों के बावजी 
  •                आदिवासियों का मसीहा
  • यह आंदोलन उदयपुर+ सिरोही के भीलों के लिए हुआ
  •  एकी आंदोलन:-भीलो में एकता स्थापित करना 
  • प्रमुख केंद्र :-भोमट क्षेत्र( उदयपुर )
  • प्रारंभ:- 1921 मातृकुंडिया (चित्तौड़गढ़ )
  • कारण:- सामंती अत्याचार
  •  मोतीलाल तेजावत झाडोल ठिकाने के कामदार थे और 21 मांगों को लेकर आंदोलन आरंभ किया इन मांगों को 21 सूत्रीय मांग पुकार पत्र कहां गया 
  • मोतीलाल तेजावत ने भीलो पर लगने वाले बरङ कर का विरोध किया
  • नीमङा हत्याकांड:- 7 मार्च 1922 नीमङा गांव (सिरोही) 
  • मोतीलाल तेजावत ने अपने समर्थकों के साथ नीमड़ा गांव में सभा की 
  • जागीरदार की सेना ने इस सभा पर गोलियां चलाई
  •  जिसमें 1200 भील मारे गए 
  • इसे दूसरा जलियांवाला बाग हत्याकांड कहा जाता है 
  • इस हत्याकांड के बाद मोतीलाल तेजावत भूमिगत हो गए 
  • मोतीलाल तेजावत यह आंदोलन महात्मा गांधी की प्रेरणा से चलाया
  •  मोतीलाल तेजावत ने महात्मा गांधी की सलाह पर आत्मसमर्पण कर दिया
लसाडिया आंदोलन:- 
प्रवर्तक:- संत मावजी 
  • आंदोलन का क्षेत्र :-वागड़ क्षेत्र 
  • भीलों में आध्यात्मिकता का संचार करने के लिए आंदोलन चलाए
मीणा जनजाति आंदोलन:- 1924-1952
  • क्षेत्र :-जयपुर राज्य 
  • मीणा जनजाति के लोगों द्वारा 
  • मीणा जाति के 2 वर्ग होते हैं
  •  1.जमीदार मीणा:-मीणाओं का वर्ग जिसके पास जमीन होती है तथा कृषि करते हैं इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी होती है
2. चौकीदार मीणा:- मीणाओ का वह वर्ग जो  चौकीदार/ रखवाली करते हैं
  •  इनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है 1900 सदी में जयपुर राज्य में चोरी डकैती छेड़छाड़ लूटपाट की घटनाएं बढ़ने लगी और इसका जिम्मेदार मीणा  जाति के लोग ठहराया गया 
  • जयपुर राज्य में दो कानून पारित कर दिए
1. क्रिमिनल क्राइम एक्ट :-1924
मीणाओं को अपराधी मान लिया गया
2. जयराम पैशा /जरायज पैशा:-1930
  • मीणाओं को प्रतिदिन पुलिस थाने में हाजिरी देने के लिए बाध्य किया गया 
  • मीणा जनजाति के लोगों ने इन दोनों कानूनों को समाप्त करने के लिए यह आंदोलन किया
  •  मीणा सुधार समिति:- 1930 
  • छोटूराम ने इस सभा के द्वारा मीणाओं को आंदोलन में भागीदार बनाया
  •  1944 में नीमकाथाना सीकर में मीणाओं का एक वृध्द सम्मेलन हुआ जिसकी अध्यक्षता मुन्नी भगत सागर द्वारा की गई इस सम्मेलन के बाद महिलाओं और बच्चों को पुलिस थाने में हाजिरी के लिए छूट दे दी
  •  लक्ष्मी नारायण झारवाल  के प्रयासों से 1952 में दोनों कानून को समाप्त कर दिया

Tuesday, May 19, 2020

राजस्थान में 1857 की क्रांति


राजपूताना रेजिडेंस :-1832
                                     इसकी स्थापना  भारत के गवर्नर लॉर्डड विलियम बैंटिक द्वारा की गई
प्रमुख पद :-AGG-agent to governor                         general 
प्रथम AGG-  Mr locket (मिस्टर लॉकेट )
-1857 की क्रांति के समय AGG:- जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस 
मुख्यालय:- शीतकालीन मुख्यालय अजमेर                           -1832
                 -ग्रीष्मकालीन मुख्यालय माउंट आबू                       1845
-राजपूताना रेजिडेंसी का मुख्य उद्देश्य राजपूताना पर नियंत्रण स्थापित करना था
-1857 की क्रांति के समय राजस्थान में 6 सैनिक छावनिया थी
1. नसीराबाद (अजमेर ):-15 बंगाल  नेटिव इन्फैंट्री
 ‌‌‌                               30वी मुंबई लॉयर्स
2. ब्यावर (अजमेर):-  मेरो /मेवों की टुकड़ी
3. खेरवाड़ा ( उदयपुर):- भीलों की टुकड़ी
4. देवली( टोंक) :- कोटा लिजियम
5. एरिनपुरा( पाली) :-जोधपुर  लिजियम
6. नीमच ( MP):-कोटा लिजियम

 शेखावाटी ब्रिगेड:- 1834
                         मुख्यालय -झुंझुनू       
 - शेखावाटी ब्रिगेड एक सैनिक टुकड़ी थी इसकी स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी   
-शेखावाटी क्षेत्र में हो रहे आंदोलनों को कुचलने के लिए इसकी स्थापना की गई

जोधपुर  लिजियम:- 1835
                                   ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित की गई सैनिक टुकड़ी
जोधपुर डीजीएम को एरिनपुरा छावनी में रखा गया 
इस सैनिक टुकड़ी के सैनिकों को पुर्बिया सैनिक भी कहा जाता था
इस छावनी में मारवाड़ के सैनिक थे

1857 की क्रांति के समय प्रमुख पोलिटिकल एजेंट (PA)

राज्य PA प्रमुख शासक
 मेवाड़ मेजर शॉवर्स महाराणा स्वरूप सिंह 
 मारवाड़ मैक मॉसन महाराजा तख्त सिंह
 जयपुर
कर्नल ईडन सवाई रामसिंह lI
 कोटा मिस्टर बर्टन महाराजा रामसिंह lI
 सिरोही जे डी हॉल केंद्र शासित प्रदेश
 अजमेर कर्नल डिक्सन केंद्र शासित प्रदेश
 भरतपुर मॉरीशस महाराजा बृजेंद्र सिंह
 प्रतापगढ़ कर्नल रॉक          -

 देश में 1857 की क्रांति का तात्कालिक कारण:-
                                       ‌‌‌                      चर्बी वाले कारतूस का प्रयोग 
  • भारतीय सैनिकों को ब्राउन बेस नामक बंदूक के स्थान पर एनफील्ड राइफल नामक बंदूक दे दी जिसमें गाय और सुअर की चर्बी वाले कारतूस का प्रयोग किया जाता था                                         
 बैरकपुर छावनी:-
                      पश्चिम बंगाल
  •  चर्बी वाले कारतूसो की प्रथम घटना
  •  मंगल पांडे ने ह्यूसन को गोली मार दी
मेरठ छावनी (UP):-
                      10 मई 1857 को
  • 1857 की क्रांति का प्रथम विद्रोह
 Note:-1857 की क्रांति में राजस्थान दो सैनिक छावनी में विद्रोह नहीं हुआ 1.ब्यावर छावनी, 2. खेरवाड़ा छावनी
  •  इन में निवास कर रहे सैनिकों को चर्बी वाले कारतूस में कोई समस्या नहीं थी
नसीराबाद छावनी का विद्रोह :-28 मई 1857 
  • 1857 की क्रांति का राजस्थान में प्रथम विद्रोह 
  • 15वीं बंगाल  नेटिव इन्फैंट्री नमक सैनिक टुकड़ी को अंग्रेजों ने बंगाल से बुलाकर अजमेर के तारागढ़ दुर्ग की तलहटी में शिविर लगाकर प्रशिक्षण दिया 
  • क्रांति आरंभ होने के बाद इन सैनिकों को नसीराबाद छावनी में भेज दिया गया वहां पर 30 वीं मुंबई लोअर सैनिक टुकड़ी की निगरानी में रखा गया 
  • सैनिकों ने विश्वास खो कर विद्रोह कर दिया 28 मई 1857 को 
  • क्रांतिकारियों ने न्यूबरी व स्पोर्ट्स वुड को मौत के घाट उतार दिया तथा प्रीचार्ट नामक अंग्रेज अधिकारी भागकर अजमेर चला गया
  • क्रांतिकारियों ने छावनी को लूटा और अजमेर की बजाय क्रांतिकारी दिल्ली चले गए
  •  क्रांतिकारियों का पिछा मेवाड़ की सेना लेकर कर्नल वाल्टर व कर्नल हिथवोट ने किया लेकिन इनको असफलता ही मिली
  •  प्रीचार्ट के अनुसार :-नसीराबाद के क्रांतिकारी दिल्ली ना जाकर यदि अजमेर में आते और मैगज़ीन दुर्ग को लूट लेते तो इस क्रांति का स्वरूप कुछ ओर होता
  • नसीराबाद :-  28  मई 1857
  • नीमच      :-      3 जून 1857
  • एरिनपुरा  :-   21 अगस्त 1857
  •  कोटा      :-       15 oct 1857
अमरचंद बांठिया:- अमरचंद बांठिया बीकानेर निवासी थे
उपनाम :- 1857 की क्रांति में राजस्थान का प्रथम शहीद 
  • राजस्थान का मंगल पांडे
  •  1857 की क्रांति के भामाशाह 
  • अमरचंद बांठिया नसीराबाद छावनी के पूर्व सैनिक थे तथा 1857 की क्रांति के दौरान यह ग्वालियर के प्रमुख क्रांतिकारी तथा व्यापारी थे
  •  अमरचंद बांठिया ने अपनी संपूर्ण संपत्ति तात्या टोपे तथा रानी लक्ष्मीबाई को दे दी थी इसीलिए अमरचंद बांठिया को गवालियर में एक पेड़ के नीचे फांसी दे दी
नीमच का विद्रोह:- 3 जून 1857
 नेतृत्व :-हीरालाल
             मोहम्मद अली बेग  
  • नीमच में अंग्रेज अधिकारी कर्नल एबॉट थे
  •  करण :-कर्नल एबोट ने नीमच के सैनिकों को ईमानदारी की कसम और शपथ दिलाई तथा क्रांतिकारियों ने यह कहते हुए विद्रोह कर दिया कि पहले इमानदारी की कसम दिलाकर अंग्रेजों ने अवध को हड़प लिया
  •  क्रांतिकारियों ने नीमच छावनी को खूब लूटा तथा यहां के 40 अधिकारी व उनके परिवार जन भाग निकले 
  • डूंगला गांव ( चित्तौड़गढ़):- नीमच से आइए 40 अंग्रेज अधिकारी तथा उनके परिवार जन को रुधाराम नामक किसान में डूंगला गांव में शरण दी 
  • मेजर शॉवर्स ने इन अंग्रेज अधिकारियों को यहां से उदयपुर ले गया 
  • महाराणा स्वरूप सिंह ने अंग्रेज अधिकारियों को पिछोला झील के जग मंदिर में शरण ली और गोकुल लाल लाल को इनकी देखरेख के लिए नियुक्त किया गया
  • नीमच के क्रांतिकारी देवली टोंक और दिल्ली की ओर चलेगी
देवली छावनी का विद्रोह:- देवली छावनी के सैनिकों ने नीमच के क्रांतिकारियों के साथ मिलकर विद्रोह किया
एरिनपुरा छावनी का विद्रोह :-21 व 23 अगस्त 1857
  •  1857 की क्रांति के आरंभ के समय राजस्थान के AGG जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस माउंट आबू में थे क्रांति की सूचना मिलने पर अजमेर चले गए  तथा माउंट आबू की रक्षा का भार मारवाड़ के शासक महाराजा तख्त सिंह को पत्र लिखकर दिया 
  • महाराजा तख्त सिंह जोधपुर लिजियम के सैनिकों को मारवाड़ के सैनिकों को AGG की मुख्यालय की रक्षा के लिए माउंट आबू भेज दिया इन सैनिकों ने रक्षा करने की बजाय आबू में विद्रोह कर दिया  के मुख्यालय को लूट लिया तथा  AGG के पुत्र एलेक्स जेंडर  हत्या कर दी
  • 23 अगस्त 1857 को क्रांतिकारियों ने एरिनपुरा की छावनी को खूब लूटा तथा छावनी के सैनिक शिवनाथ सिंह एक नारा दिया चलो  दिल्ली मारो फिरंगी एरिनपुरा की क्रांतिकारी दिल्ली की ओर रवाना हो गए
  • आऊवा( पाली):-मारवाड़ राज्य का ठिकाना 
  • ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत एरिनपुरा से आए क्रांतिकारियों को ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत ने आऊवा में शरण दी तथा इनका नेतृत्व कर आऊवा में विद्रोह किया 
  • मारवाड़ में 1857 की क्रांति का सबसे बड़ा विद्रोह आऊवा में हुआ
बिथोङा का युद्ध( पाली ):-8 September 1857 
  • यह युद्ध  मारवाड़ की सेना तथा क्रांतिकारियों के बीच हुआ
  •  मारवाड़ की सेना का नेतृत्व अनार सिंह हीथकोर्ट कर रहे थे 
  •  क्रांतिकारियों का नेतृत्व ठाकुर कुशाल सिंह कर रहे थे इस युद्ध में अंग्रेज अधिकारी मारवाड़ की सेना की हार हुई
  •  अनार सिंह मारे गए 
  • क्रांतिकारियों की इस युद्ध में विजय हुई
चेलवास का युद्ध:-आऊवा का युद्ध /काला गोरा का युद्ध :-18 सितंबर 1857 
  • चेलवास (पाली) के मैदान में हुआ
  • यह युद्ध अंग्रेजों की सेना तथा क्रांतिकारियों के मध्य हुआ 
  • अंग्रेजों की सेना का नेतृत्व में मैक मौसन जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस कर रहे थे 
  • क्रांतिकारियों का नेतृत्व ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत कर रहे थे
  •  क्रांतिकारियों ने मेक मौसन का सर काट कर आऊवा के किले पर लटका दिया 
  • song:- ढोल बाजे बांकीयो आऊवा के किले पर मैक मौसन को टाकियो
  •  मैक मौसन की कब्र:-आऊवा में
  • इस कब्र को ऊंट की कब्र जाता है इस कब्र पर राईका /रेबारी जाति के लोग आकर मन्नत मांगते हैं
  •  आऊवा के विद्रोह का दमन करने के लिए राजस्थान के AGG जॉर्ज पैट्रिक लोरेंस की सलाह पर भारत के GG लॉर्ड कैनिंग पालनपुर और नसीराबाद की सेना को मिलाकर संयुक्त सेना का गठन किया
  • 30 जनवरी 1858 को कर्नल होम्स ने आऊवा पर अधिकार कर लिया 
  • ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत भूमिगत हो गए 
  • कोठरियां (राजसमंद )के ठाकुर जोध सिंह तथा सलूंबर (उदयपुर) के ठाकुर केसर सिंह ने ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत को शरण दी
  •  कालांतर में ठाकुर कुशाल सिंह ने नीमच में अंग्रेजों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया तथा मेजर टेलर आयोग द्वारा जांच की गई 
  • 1864 में उदयपुर में ठाकुर कुशाल सिंह चंपावत का निधन हो गया
सुगाली माता :-आऊवा पाली
  •  उपनाम:- मां काली /10 सिर व 54 हाथ वाली माता 
  • कुशाल सिंह चंपावत की कुलदेवी और 1857 की क्रांति में क्रांतिकारियों की आराध्य देवी
  •  1857 की क्रांति में कर्नल होम्स ने माता का मंदिर ध्वस्त कर दिया तथा मूर्ति को अपने साथ ले गया
  • कोटा का विद्रोह :-15 अक्टूबर 18 57 
  • राजस्थान में 1857 की क्रांति का सबसे बड़ा विद्रोह
  • कोटा में कोई सैनिक छावनी  नहीं थी यहां का विद्रोह जनविद्रो व जन द्वारा किया गया विद्रोह था 
  • राजकीय सेना ने भी क्रांतिकारियों का साथ दिया दिया 
  • कोटा का विद्रोह:- 15 अक्टूबर 1857 
  • नेतृत्व जय दयाल /हरदयाल व मेहराब खान कर रहे थे 
  • कोटा का शासक महाराव रामसिंह lI को कोटा दुर्ग में बंदी बना लिया
  •  कोटा के PA  कर्नल बर्टन के पुत्र आर्थर व फ्रैंकलीन की क्रांतिकारियों ने हत्या कर दी 
  • नारायण व भवानी ने कर्नल बर्टन का सिर काटकर कोटा शहर में घुमाया बाद में कोटा दुर्ग पर लटका दिया
  •  इस विद्रोह को कोटा दुर्ग की क्रांति का जाता है
  • करौली के शासक मदन पाल ने जनर्ल रॉबर्ट्स की की सहायता से दोनो ने मिलकर कोटा विद्रोह का दमन किया
  •  जयदयाल व मेहराब खां को  फांसी दे दी
  • महाराव रामसिंह lI को क्रांतिकारियों से मुक्त करवा दिया
  • महाराव रामसिंह lI  की तोपों की सलामी 17 से घटाकर 13 कर दी
  • करौली के शासक मदनपाल को ग्रांड कमांड स्टार ऑफ इंडिया का खिताब देखकर 13 से 17 तोपों की सलामी करती
  • जयपुर के शासक सवाई रामसिंह lI को अंग्रेजों ने सितारेे- ए -हिंद की उपाधि दी तथा कोटपुतली की जागीर दी 
  • बीकानेर के शासक महाराजा सरदार सिंह राजस्थान के शासक थे जिन्होंने 1857 की क्रांति में अपने राज्य से बाहर जाकर भी अंग्रेजों की सहायता की पोडलू(पंजाब) वाले हिसार (हरियाणा)मैं सहायता की 
  • कालांतर में प्रजा के दबाव में आकर क्रांतिकारियों को अपने राज्य में धन दिया और शरण दे 
  • अंग्रेजों ने महाराजा सरदार सिंह को टिब्बी की जागीर दी

Wednesday, May 6, 2020

Rajasthan Gk state wise (राजस्थान जिला दर्शन) | अजमेर भाग-1

अजमेर भाग -1


अजमेर का अर्थ:-
                       ऐसा पर्वत जिसे जीता ना जा सके
स्थापना- 1113 ईस्वी में। अजय राज चौहान

प्राचीन नाम- पृथ्वीपुर , अजयमेरू

अजमेर से अकबर का संबंध:-
                                       अकबर ने अजमेर की 5 बार पैदल यात्रा की थी
-अकबर का किला /दौलत खन्ना /मैग्जीन दुर्ग 1570 में निर्माण किया गया
-ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति समर्पण करने के लिए अजमेर में स्थाई निवास तथा अपना खजाना छिपाने के लिए अकबर ने अकबर का किला का निर्माण करवाया
-सहेलियों का बाजार अजमेर में स्थित
-कोस मीनार अजमेर में स्थित है
-अकबर ने गुजरात पर नियंत्रण रखने हेतु अजमेर को मुख्यालय बनाया

 अजमेर से जहांगीर का संबंध:- 
                                            मुगल दरबार -अजमेर में 1613 से 1616
-जहांगीर महल का निर्माण पुष्कर में करवाया गया
-चश्मा -ए -नूर का निर्माण अजमेर में करवाया गया
-दौलत बाग उद्यान / सुभाष उद्यान निर्माण
अजमेरमें करवाया गया
मुगल -मेवाड़ संधि:-
                         5 फरवरी 1615 ई.
-युवराज करण सिंह जहांगीर के दरबार में 1615 ई. में उपस्थित हुए
-जहांगीर ने पुष्कर के वराह मंदिर की मूर्ति को पुष्कर झील में फिंकवा दिया
-सर टर्म्स रो 22 दिसंबर 1615 ईसवी में अजमेर आए
-जहांगीर के दरबार में 10 जनवरी 1616 ईस्वी में उपस्थित हुए

शाहजहां का अजमेर से संबंध,:-
                                        शाहजहां ने आनासागर झील के किनारे बाहदरी का निर्माण करवाया जो सफेद संगमरमर से निर्मित है
-जेस्ट पुत्र दारा शिकोह का जन्म तारागढ़ दुर्ग में हुआ

औरंगजेब का अजमेर से संबंध:-
                                          दौराई का युद्ध जीता
अजमेर के उपनाम:- 1. अजय मेरु /पृथ्वीपुर- प्राचीन नाम
                            2. भारत का मक्का- मदीना
                            3. राजस्थान का हृदय स्थल/ केंद्रीय   
                                स्थिति
                            4. राजस्थान का जिब्राल्टर विशैप हैबर
                               ने कहा
                            5. संप्रदायक सद्भावना का  संगम
अजमेर का प्रथम स्थान:-
                                1. राजस्थान का प्रथम हाईटेक डाकघर पुष्कर में स्थित है
2. राजस्थान की प्रथम पोस्ट मंडी अजमेर -गनोहड़ा गांव में
3. राजस्थान की प्रथम आयुर्वेदिक औषधि प्रयोगशाला अजमेर में स्थित है
4. राजस्थान की प्रथम हाई सिक्योरिटी जेल  घुघरा घाटी अजमेर में
5. राजस्थान का प्रथम सिस्मोग्राफ संयंत्र अजमेर में स्थिति है

पर्यटक स्थल:-
             
अब्दुल्ला खा और  बीबी का मकबरा:-यह सफेद संगमरमर पत्रों से निर्मित है

बाबूगढ़ बजरंग गढ़:-अजमेर
बालाजी का मंदिर
निर्माण:-मराठा सरदार बापूजी सिंधिया ने करवाया

चश्मा -ए- नूर:-तारागढ़ दुर्ग की तलहटी में
                  निर्माण:-जहांगीर ने नूरजहां के लिए निर्माण करवाया

रूठी रानी का महल:-तारागढ़ दुर्ग की तलहटी में
                            राव मालदेव की रानी उमादे रूठ कर इसी महल में रही थी
-इस महल में नूरजहां भी रुठ कर रही थी 
-जहांगीर नूरजहां को मनाने के लिए 21 बार इस महल में गया था

घोड़े की मजार:-तारागढ़ दुर्ग में
                     मीरान साहब का प्रिय घोड़ा था
-भारत में एकमात्र घोड़े की मजार जहां चने की दाल चढ़ाई जाती है

हाथी भाटा:- अजमेर

संस्कृत कंठ भरण पाठशाला/ अढाई दिन का झोपड़ा:-निर्माण विग्रहराज चतुर्थ बीसलदेव चौहान ने करवाया था
-कुतुबुद्दीन ऐबक ने पाठशाला को तोड़कर डाई दिन का झोपड़ा का निर्माण कर दिया इसकी दीवारों पर हेरीकेली नामक नाटक लिखा गया है
-वर्तमान में डाई दिन का झोपड़ा/ मस्जिद जो,16 खंभों की मस्जिद है जो राजस्थान की प्रथम मस्जिद है
-फारसी इतिहासकारो के अनुसार इसका निर्माण 60 घंटे में हुआ है
-यहां पर पंजाबशाह का अढाई दिन का उर्स लगता है
जिनदत सूरी का मंदिर /दादा बाड़ी :-अजमेर मैं स्थित है
तबीजी अजमेर:-देश का प्रथम बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है
तिलोनिया गांव (अजमेर ):-देश की एकमात्र बाल संसद स्थित है
जुबली क्लॉक टावर (अजमेर):-1886-87
निर्माण:- महारानी विक्टोरिया की स्मृति में करवाया गया
मेयो कॉलेज:- अजमेर 
‌              अजमेर दरबार-1875
उद्देश्य:- राजस्थान के राजाओं तथा राजकुमारों को अंग्रेजी शिक्षा देना
प्रथम प्राचार्य:-ओलिवर सेंट जॉन
द्वितीय प्राचार्य:-गिब्सन ने पाठ्यक्रम व गतिविधियों को बढ़ावा दिया
उपप्राचार्य:-दानमल ने गिब्सन को मैं कॉलेज का शाहजहां काहा
प्रथम विद्यार्थी:-अलवर के युवराज मंगल सिंह
-गिब्सन को भारत सरकार ने पदम श्री पुरस्कार दिया

सम्राट पृथ्वीराज चौहान का स्मारक:- अजमेर
                                                13 सितंबर 1996 को देश को समर्पित कर दिया
बाघेरा का तोरण द्वार:-बघेरा गांव ( अजमेर )
टुकड़ा का मकबरा:-किशनगढ़
संतोष बांवला की छतरी:-पुष्कर
पदमा डेयरी( अजमेर):- राजस्थान की प्रथम डेयरी
मांगलिया वास( अजमेर ):-यहां पर कल्पवृक्ष है
                                  कल्पवृक्ष मेला:-हरियली अमावस्या
ब्यावर:-1850 के दशक में कर्नल डिक्सन ने एक परकोटा बनाकर इसके भीतर ब्यावर नगर बसाया
‌‍‌‌‌ राजस्थान राजस्थान में अंग्रेजों द्वारा निर्मित दुर्ग:-टॉडगढ़ भिमगढ़ बेरासवाड़ा गांव में
किशनगढ़:-किशनगढ़ राज्य राठौड़ वंश किशन सिंह
               राजस्थान में हेण्ड लूम का सबसे बड़ा केंद्र
-राजस्थान में संगमरमर की सबसे बड़ी मंडी किशनगढ़ में स्थित है
-मार्बल मंडी-एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी
नवग्रह मंदिर ( किशनगढ़):- राज्य का एकमात्र नवग्रह मंदिर
फलकू बाई( किशनगढ़):-चरी नृत्य की कलाकार
कचरिया मंदिर:- किशनगढ़
झील -गेंदोलाव झील किशनगढ
फूल महल:-किशनगढ़
किशनगढ़ शैली:- बनी -ठनी
खोड़ा गणेश मंदिर:-किशनगढ़( अजमेर )
सोनी जी की नसियां (अजमेर):-जैन मंदिर
-मुख्य प्रतिका ऋषभ देव/ आदिनाथ
निर्माण:- 1864 मैं मूलचंद सोने करवाया
पूर्ण निर्माण :-1865 में टीकम चंद सोनी ने करवाया
इस मंदिर के दो भाग -नसिया, स्वर्ण मंदिर
-मंदिर में 400 किलो सोने का प्रयोग किया गया
-यह मंदिर  लाल रंग से निर्मित होने के कारण इसे लाल मंदिर कहा जाता है
ब्रह्मा जी का मंदिर:-पुष्कर अजमेर
-18 वीं सदी में पुनः निमार्ण गोकुल चंद पारीक ने करवाया
-विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर जिसकी विदित हो उसे पूजा होती है
-कर्नल जेम्स टॉड इस मंदिर पर गिरजाघर के समान लगे क्रोस चिन्ह को देखकर चकित रह गए
पुष्कर का मेला:-5 दिनों तक लगता है
तिथि:-कार्तिक पूर्णिमा
उपनाम:-मेरवाड़ा का कुंभ
-राजस्थान का सबसे रंगीन मेला
पुष्कर:-उपनाम-100 मंदिरों का शहर
          कोकर्ण तीर्थ, तीर्थराज, तीर्थो का मामा
सावित्री मंदिर/ सरस्वती मंदिर:-रत्नागिरी की पहाड़ी पुष्कर
दो प्रतिमाएं-मां सावित्री, मां सरस्वती
वराह मंदिर :-पुष्कर
निर्माण-अर्णोराज ने करवाया
-जहांगीर ने इस मंदिर की मूर्ति को पुष्कर झील में फिकवा दिया था
-पुन: निर्माण:-शक्ति सिंह ( महाराणा प्रताप के भाई )
रंगनाथ जी का मंदिर:-पुष्कर
पुजारी:-द्रविड़ ब्राह्मण
शैली:-गोमुख / द्रविड़ शैली
निर्माण:-1834 सेठ पूरणमल ने
-वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है
खोड़ा गणेश मंदिर:-किशनगढ़( अजमेर)
पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर:-किशनगढ़
सलेमाबाद (अजमेर):-रूपनगढ़ नदी के किनारे
-निंबार्क संप्रदाय की राजस्थान में प्रथम पिठ
पूजा:-कृष्ण और राधा दोनों की
मेला:- राधा अष्टमी (भाद्रपद शुक्ल अष्टमी)
संस्थापक:-परशुराम महोदय
खुंडियास ( अजमेर ):-बाबा रामदेव जी का मंदिर
-राजस्थान का छोटा रामदेवरा



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